हमारी शुभकामनाएं:-
सगाई की रस्म:-
एक ऐसी रस्म है, जिसे विवाह संस्कार को सम्पन्न करने से पहले किया जाता है। सगाई का अर्थ हैं कि विवाह के लिए चुनाव किए गए वर और कन्या को एक दूसरे के लिए रोक देना। यानी कि अब से कहीं ओर वर के लिए कन्या, कन्या के लिए वर नहीं ढूंढा जाए। इसी कारण से सगाई की इस रस्म को रोका भी कहा जाता है। शास्त्रों में सगाई के लिए शब्द है – वरण। कन्या वरण और वर वरण । शास्त्रों में कन्या और वर के वरण के लिए शुभ मुहूर्त दिए गए हैं। शुभ मुहूर्त में सगाई सम्पन्न किया जाना चाहिए।
वाग्दान विधि-
कन्या पक्ष के द्वारा वर को विवाह के लिए स्वीकार किया जाने का रिवाज सम्पन्न किया जाता है। यह वाग्दान कहलाता है। इसे वर का टीका या तिलक भी कहते है। कन्या पक्ष के पुरोहित या कन्या के भाई द्वारा वर का वरण किया जाता है। सबसे पहले वर को तिलक कर हाथों में नारियल और रुपया , चंदन ,सुपारी, जनेऊ हल्दी, अक्षत, फल, मिठाई, मेवे, पान देकर वर का वरण करें। कन्या पक्ष के द्वारा वर को उपहार स्वरुप कई तरह की गिफ्ट देने का चलन समाज में है। जिसमें वस्त्र, आभूषण, नकद, अंगूठी, घड़ी दिए जाते है। ये सब चीजें विवाह के बाद नई गृहस्थी की शुरुआत में वर – वधू की मदद के लिए दी जाती है।
कन्या का वरण-
यह रस्म वर पक्ष की महिलाओं द्वारा सम्पन्न की जाती है। जिसे लड़के की बहन या बुआ द्वारा लड़की को शुभ मांगलिक वस्तुएं हाथों में देकर रिश्तें के लिए सहमति प्रदान की जाती है। कन्या को तिलक कर हाथों में नारियल व रुपया, सुपारी, पान, हल्दी की पांच गांठ देकर रिश्ता पक्का किया जाता है। पांच फल, पांच प्रकार की मिठाई और पांच प्रकार के फल, पंचमेवा कन्या की झोली में डाले जाने का रिवाज है। वर पक्ष की ओर से वर की माता द्वारा कई प्रकार की वस्तुएं कन्या को उपहार स्वरुप दी जाती है। पांच जोड़ा वस्त्र, पांच स्वर्णाभूषण, घड़ी, अंगूठी, लिफाफा आदि दिए जाते हैं। दहेज की तरह ये रिवाज भी अपनी सामर्थ के अनुसार किया जाना चाहिए।
सगाई की रस्म सम्पन्न करने की विधि-
सगाई की रस्म सम्पन्न करने के लिए सबसे पहले भगवान गणेश का पूजन किया जाता है।
पूर्व दिशा की ओर मुख कर आसन पर वर या कन्या के बैठने के लिए स्थान रखा जाता है। सामने कोई शुभ चिह्न बनाकर उस पर पाटा रखा जाता है। पाटे पर लाल आसन बिछाकर उस पर पान- सुपारी राखी जाती है। दीपक प्रज्वलित किया जाता है। सुपारी में श्री गणेश का पूजन किया जाता है। गणेश जी को सौभाग्य द्रव्य व लाल पुष्प अर्पित किए जाते हैं। आरती की जाती है। अब आसन पर वर को बैठाया जाता है। गणेश पूजन किया जाता है। वाग्दान की रस्म सम्पन्न की जाती है। वाग्दान सम्पन्न होने के बाद कन्या वरण किया जाता है। कन्या गणेश पूजन किया जाता है। अब सगाई सम्पन्न की जाती है। सगाई सम्पन्न होने के बाद मेहमानों का मुहं मीठा कराया जाता है। घर की महिलाओं द्वारा बधाई गीत गाए जाते हैं। ढोल आदि पर गाने -बजाने का आयोजन किया जाता है।
भूमिका को यह सब जानकारी उसकी ताइजी ने दी। भूमिका खुश थी इतनी सारी रीति रिवाज़ और उनके पीछे की कथाएं जानकर एवम सही अर्थ जानकर। उसके ताऊजी की लड़की की सगाई सकुशल रूप से संपन्न हुई। सभी ने भावी वर और वधू को ढेर सारा आशीर्वाद दिया अथवा अपने घरों की ओर प्रस्थान किया।
Supriya Pathak
09-Dec-2022 09:26 PM
👍🙂 nice
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Swati Sharma
10-Dec-2022 10:21 PM
Thanks 🙏🏻
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सृष्टि सुमन
08-Dec-2022 11:50 AM
Behtarin rachana 👌
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Swati Sharma
08-Dec-2022 04:33 PM
Thank you ma'am
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Gunjan Kamal
15-Nov-2022 01:02 PM
बहुत सुंदर लिखा आपने मैम
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Swati Sharma
15-Nov-2022 01:48 PM
आपका हार्दिक आभार एवम अभिनंदन
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